Sunday 8 August 2021

Ganjkhwaja

 Ganjkhwaja


Eastern Dedicated Freight Corridor (EDFC) is a freight specific railway under construction in northern to eastern India by the Indian Railways. The railway will run between Ludhiana in Punjab and Dankuni (near Kolkata) in West Bengal. The railway is one of the multiple freight corridors. For the railway line, broad gauge will be used. The Eastern DFC will mostly have double tracks and will be electrified but the section from Ludhiana in Punjab to Khurja (Bulandshahr) in Uttar Pradesh 400 Km will be single line electrified due to lack of space. This freight corridor will cover a total distance of 1839 km. This corridor will have a 46 Km branch line which shall join Khurja on the Eastern Dedicated Freight Corridor with Dadri on the Western Dedicated Freight Corridor.

First two DFC, Western Dedicated Freight Corridor (WDFC), from Uttar Pradesh to Mumbai and EDFC from Punjab to West Bengal, which will decongest railway network by moving 70% of India's goods train to these two corridors, are both on track for completion in December 2021. 99% required land for these 2 have been acquired, and 56% of WDFC and 60% of EDFC are complete as of July 2020.

Locality Name : Ganja Khwaja ( गांजा ख्वाजा )
Block Name : Sakaldiha
District : Chandauli
State : Uttar Pradesh
Division : Varanasi
Language : Hindi and Urdu
Current Time 01:35 AM
Date: Monday , Aug 09,2021 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
Elevation / Altitude: 79 meters. Above Seal level
Telephone Code / Std Code: 05412

मुगलसराय। रेलवे मजिस्ट्रेट बृजेश कुमार की देख रेख में वाणिज्य विभाग और रेलवे सुरक्षा की टीम ने मंडल के गंजख्वाजा रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को दोपहर में विभिन्न ट्रेनों में चेकिंग अभियान चलाया गया। मजिस्ट्रेट चेकिंग में 34 बेटिकट यात्री पकड़ गए। इसी तरह मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर चले अभियान में रेलवे एक्ट में 52लोगों का चालान किया गया।
मुगलसराय रेलवे मजिस्ट्रेट बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में सीआईटी व काफी संख्या में आरपीएफ मानस नगर पोस्ट के जवान मंगलवार की सुबह गंजख्वाजा रेलवे स्टेशन पर अप डाउन की ओर आने जाने वाली ट्रेनों को रोक कर बेटिकट चलने वालों के खिलाफ सघन जांच अभियान चलाया गया। जांच के दौरान बगैर टिकट यात्रा कर रहे 34 लोगों को पकड़ा गया। गंजख्वाजा रेलवे स्टेशन पर बुद्ध पूर्णिमा, रांची एक्सप्रेस, जोधपुर, बांबे मेल, बरवाडीह पैसेंजर आदि ट्रेनों में बेटिकट चलने वाले 34 लोगों को पकड़ा गया। मौके पर ही 28 लोगों से पचीस हजार रुपये जुर्माना वसूल कर छोड़ दिया गया। शेष छह लोगों द्वारा जुर्माना नहीं देने पर जेल भेज दिया गया। वहीं स्थानीय रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल के प्रभारी के निर्देश पर एसआई जीएस राना और एएसआई राजेश चंद ने अपने अपने हमराहियों के साथ प्लेटफार्म पर चार अवैध वेंडरों सहित महिला व दिव्यांग कोचों में अवैधानिक रुप यात्रा कर रहे 52 लोगों को पकड़ कर थाने ले आए। सभी के खिलाफ रेलवे एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत कर रेलवे कोर्ट में पेश किया गया। यहां सभी से बीस हजार रुपये जुर्माना वसूला गया।




Monday 14 September 2020

Kala Dhan

क्या होता है काला धन?

अर्थशास्त्र में काले धन की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है, कुछ लोग इसे समानांतर अर्थव्यवस्था के नाम से जानते हैं तो कुछ इसे काली आय, अवैध अर्थव्यवस्था और अनियमित अर्थव्यवस्था जैसे नामों से भी पुकारते हैं। यदि सरल शब्दों में इसे परिभाषित करने का प्रयास करें तो कहा जा सकता है कि संभवतः काला धन वह आय होती है जिसे कर अधिकारियों से छुपाने का प्रयास किया जाता है। काले धन को मुख्यतः दो श्रेणियों से प्राप्त किया जा सकता है:

1. गैर कानूनी गतिविधियों से, और

2. कानूनी परंतु असूचित गतिविधियों से।

उपरोक्त दोनों श्रेणियों में पहली श्रेणी ज़्यादा स्पष्ट है, क्योंकि जो आय गैर-कानूनी गतिविधियों से कमाई जाती है। वह सामान्यतः कर अधिकारियों से छुपी होती है और इसलिये उसे काला धन कहा जाता है। दूसरी श्रेणी में उस आय को सम्मिलित किया जाता है जो कमाई तो कानूनी गतिविधियों से जाती है, परंतु उसके बारे में कर अधिकारियों को सूचित नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिये मान लेते हैं कि यदि ज़मीन के एक टुकड़े को बेचा जाता है और उसका 60 प्रतिशत भुगतान चेक के माध्यम से किया जाता है तथा शेष 40 प्रतिशत भुगतान नकद, ऐसी स्थिति में यदि यह राशि प्राप्त करने वाला व्यक्ति कर विभाग को मात्र 60 प्रतिशत की ही जानकारी देता है और शेष 40 प्रतिशत को छुपा लेता है तो इसे दूसरी श्रेणी से प्राप्त काला धन कहा जाएगा। देश भर में लगभग सभी छोटी दुकानें नकद में ही व्यापार करती हैं, जिसके कारण पारदर्शी रूप से उनके लाभ की गणना करना काफी कठिन होता है।

इसे मापना इतना कठिन क्यों है?

  • समिति की रिपोर्ट के अनुसार रियल एस्टेट, खनन, औषधीय, तंबाकू, फिल्म तथा टेलीविज़न कुछ ऐसे प्रमुख उद्योग हैं जहाँ काले धन की अधिकता पाई जाती है। रिपोर्ट में ज़ोर देते हुए कहा गया है कि भारत के पास काले धन का अनुमान लगाने के लिये कोई भी सटीक और विश्वसनीय पद्धति नहीं है।
  • काले धन को मापने के लिये जिन पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है वे मान्यताओं पर आधारित होती हैं और भारत में अभी तक इस संदर्भ में कार्यरत सभी एजेंसियों की मान्यताओं में एकरूपता नहीं आ पाई है।

प्रयोग की जाने वाली कुछ प्रमुख विधियाँ:

भारत में काले धन को मापने की दो प्रमुख विधियाँ विद्यमान हैं:

  • मौद्रिक विधि:

यह विधि भारत में काले धन को मापने की सबसे लोकप्रिय विधि है। इसके अंतर्गत यह माना जाता है कि काले धन की उपलब्धता तथा उसमें आने वाला परिवर्तन, किसी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत मुद्रा के प्रवाह और भंडारण को प्रतिबिंबित या प्रभावित करता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि इस विधि के अंतर्गत काले धन को मापने के लिये अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह पर नज़र रखना आवश्यक है।

  • इनपुट आधारित विधि:

इस विधि के अंतर्गत यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि अर्थव्यवस्था के अंतर्गत कितना पैसा जनरेट किया जाना चाहिये था और असल में कितना हुआ है। इन्हीं दोनों के अंतर को काला धन कहा जाता है। उदाहरण के लिये सबसे पहले एक शहर में निर्मित सभी घरों की गणना करें और यह अनुमान लगाएँ कि इन सभी के निर्माण में कितने सीमेंट की आवश्यकता होगी, इसके बाद यह जाँच करें कि कर रिकॉर्ड के अनुसार शहर में कितना सीमेंट बेचा गया है। यदि इन दोनों के मध्य अंतर आता है तो इसका अर्थ है कि कुछ धन कर अधिकारियों से छुपाया गया है और वह काला धन है।

काले धन पर अंकुश लगाने के सरकारी प्रयास:

  • विधायी कार्यवाही:

सरकार ने पहले ही इस संदर्भ में कई कानून बनाए हैं जो अर्थव्यवस्था में काले धन पर अंकुश लगाने और आर्थिक लेन-देन की सूचना देने को अनिवार्य बनाते हैं। इसमें वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) तथा कर आरोपण अधिनियम 2015, बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम, एवं भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, आदि शामिल हैं।

  • पैन रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाना:

सरकार ने 2.5 लाख रुपए से अधिक के लेन-देन के लिये पैन (PAN) को अनिवार्य बना दिया है, जिसका प्रमुख उद्देश्य कर अधिकारियों से छुपाए जाने वाले लेन-देन को नियंत्रित करना है।

  • आयकर विभाग की कार्यवाही:

आयकर विभाग ने भी ऐसे लोगों की पहचान करना शुरू कर दिया है जो एक वित्तीय वर्ष में उच्च मूल्य के आर्थिक लेन-देन तो करते हैं, परंतु अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं।

काला धन अर्थव्यवस्था के लिये किस प्रकार घातक है:

  • अर्थव्यवस्था में काले धन की अधिकता से देश में एक ‘समानांतर अर्थव्यवस्था’ (Parallel economy) सृजित हो जाती है जिसकी पहचान एवं नियमन अत्यंत मुश्किल होता है। इस प्रकार यह समानांतर अर्थव्यवस्था देश के आर्थिक विकास को चौपट कर देती है।
  • काला धन भूमिगत अर्थव्यवस्था सृजित करता है जिससे राष्ट्रीय आय एवं GDP से संबंधित आँकड़ों का सही आकलन कर पाना मुश्किल हो जाता है और अर्थव्यवस्था की गलत तस्वीर प्रस्तुत होती है। इससे नीति निर्माण में सटीकता नहीं आ पाती है।
  • काले धन के सृजन के दौरान कर वंचना (Tax Evasion) होती है जिससे सरकार को राजस्व हानि होती है। परिणामस्वरूप सरकार को उच्च करारोपण एवं ‘घाटे का वितपोषण’ (deficit financing) का सहारा लेना पड़ता है जो अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाता है।
  • काले धन का खर्च मनोरंजन, विलासिता, भ्रष्टाचार, चुनावों के वित्त पोषण, सट्टेबाजी अथवा आपराधिक गतिविधियों में किया जाता है जिससे एक तरफ अपराध एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है तो दूसरी तरफ उपयोग पैटर्न बिगड़ने से दुर्लभ संसाधनों का अपव्यय होता है।

आगे की राह:

  • आयकर विभाग को आय के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में व्यय की सीमा भी निर्धारित करनी चाहिये ताकि इससे अधिक व्यय करने पर वह स्वयमेव जाँच के दायरे में आ जाए।
  • शिक्षण संस्थाओं की कैपिटेशन फीस पर नज़र रखनी चाहिये। धर्मार्थ संस्थाओं के लिये वार्षिक रिटर्न अनिवार्य बनाना, इन संस्थाओं का पंजीकरण एवं विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचना के आदान-प्रदान की व्यवस्था होनी चाहिये।
  • एक मज़बूत रियल एस्टेट कानून बनाकर इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले काले धन पर रोक लगाई जा सकती है। (सरकार ने एक मज़बूत रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट पारित कर दिया है।)
  • चुनावों में काले धन का प्रयोग रोकने के लिये व्यापक कार्य योजना बनानी चाहिये क्योंकि यहाँ काला धन खपाना काफी आसान है जो काला धन के सृजन को प्रेरित करता है। राजनीतिक दलों को ‘सूचना का अधिकार’ (RTI) के दायरे में लाना चाहिये एवं इनके बही-खातों की नियमित ऑडिटिंग करनी चाहिये।
  • हवाला करोबार पर अंकुश लगाना चाहिये।
  • आयकर विभाग के अधिकारों एवं स्वायत्तता में वृद्धि की जानी चाहिये।

यद्यपि वर्तमान में सरकार काला धन अधिनियम, बेनामी लेनदेन (संशोधन) अधिनियम, आय घोषणा योजना, विमुद्रीकरण, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे कदमों के माध्यम से काला धन सृजन रोकने के प्रयास कर रही है, फिर भी उपर्युक्त सुझावों पर ध्यान देकर इन प्रयासों को और गति दी जा सकती है।